विकास अग्रवाल और आशिष जैन का कोयला चोरी मे बडा रोल आया सामने.
घूग्गूस प्रतिनिधी :-
आज 14 जानेवारी को राजूर रेल्वे सायडिंग से स्टीम कोयला भरकर विकास अग्रवाल की MH34BZ4309.MH34BZ5909 यह गाडिया करीबन 2 घंटे वणी के लाल पुलीया पर खडी रखकर फिर घूग्गूस मे हरी झडी मिलने के बाद चंद्रपूर के नागाडा प्लॉट पर खाली होनेका अंदेसा है, इस संदर्भ मे अब जीएसटी चोरी के मामले मे जीएसटी डिपार्टमेंट ने इन कोयला चोरी की जांच करनी चाहिए ऐशी मांग उठ रही है.
वणी के राजूर रेल्वे कोल सायडिंग से विकास अग्रवाल कोल की गडियां स्टीम कोयला भरकर हमेशा चंद्रपूर के नागाडा और ताडाली के प्लॉट पर खाली कर दी जाती है इसमें हररोज करीबन पाच से दस गडियां कोयला भरकर जाती है और कोयले का रेट करीबन 10 से 14 हजार रुपया टन है अगर इसकी किमत आंकी जाए तो करीबन प्रती 40 टन कोयले की किमत 5 लाख तक जाती है और करीबन 10 गडियां कोयला भरकर आती है तो 50 लाख रुपयोकी कोयला चोरी हररोज की जाती है
कैसा है कोयले का व्यवहार? कोण है कोयला माफिया?
मध्यप्रदेश पॉवर जनरेशन कंपनी लिमिटेड (MPPGCL)
यह मध्यप्रदेश की सरकारी बिजली उत्पादन कंपनी है और इसको कोयला सप्लाय करणेका टेंडर महावीर कोल वॉशरिज को मिला है. इस कंपनीने यह काम सतीश जैन नामक व्यक्तीके महावीर कोल को दिया है और सतीश जैन ने यह पूरा काम अपने भाई आशिष जैन को दिया है. आशिष जैन के कोयला प्लॉट वणी और नागाडा मे है इसमें विकास अग्रवाल का ट्रान्सपोर्ट है और इसका कोयला प्लॉट चंद्रपूर नागाडा ताडाली मे है जो कोयला आधा आधा बट्वारा किया जाता है और खुले मार्केट मे वेचा जाता है. मतलब विकास अग्रवाल और आशिष जैन ये दोनो का कोयला चोरी मे बडा रोल है. अगर मनसे जिला उपाध्यक्ष राजू कुकडे इनके द्वारा सीबीआय जांच की मांग केंद्र सरकार करती है तो इस कोरोडो रूपयोका कोयला घोटाला सामने आ शकता है.