Home चंद्रपूर चिंताजनक:- चंद्रपूर महाऔष्णिक विद्युत केंद्र के जहरिले प्रदूषण से जनता परेशान.

चिंताजनक:- चंद्रपूर महाऔष्णिक विद्युत केंद्र के जहरिले प्रदूषण से जनता परेशान.

प्रदूषण नियंत्रण अधिकारीने इस ओर ध्यान देनेकी जरुरत वर्ना जनता उतरेगी सडकपर ?

चंद्रपुर सवांददाता :-

चंद्रपूर औष्णिक विद्युत केन्द्र के एक चिमनी से गहरा काला धुआं निकलने से चंद्रपुर वासियों में हडकंप मंचा हुवा है और इस जहरिला काला धुव्वा बंद करनेकि मांग पिछले कई महिनोसे हों रही है किंतू सीटीपीएस द्वारा जहरीला धुआं निरंतर उगले जाने की खबर सुर्खियोमे है फिरभी जिल्हा प्रदूषण नियंत्रण विभाग गहरी निंदमे सोई होनेका अन्देशा सामने आ रहा है.

सिटिपिएस के इस युनिट के माध्यमसे फैलाया जा रहा रहा धुव्वा लोगोकि जान कां दुश्मन बन गया है. इस पर संज्ञान लेने के बजाय सीटीपीएस द्वारा निरंतर जहरीला धुआं उगला जारहा है. हैरत की बात है कि प्रदूषण नियंत्रण मंडल इस मामले में मूकदर्शक बना हुआ है.दरम्यान चंद्रपुर में प्रदूषण का प्रमाण बढ रहा है. और सीटीपीएस के साथ साथ जिल्हेकी कई कंपनीया इस जहरिले प्रदूषण को फैलाकर लोगोन्के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड कर रहे है.

एक सर्वेक्षण के मुताबिक चंद्रपुर अब बढ़ते प्रदूषण के कारण रहने लायक स्थान नहीं रहा है. क्योकि प्रदूषण का विपरित परिणाम जनता के स्वास्थ्य पर हो रहा है. बच्चे बुढे इस प्रदूषण के जॉल मे फसकर कई बीमारियोंके शिकार हों रहे है. स्वास्थ्य एक्सपर्ट के अनुसार प्रदूषण एक प्रकार का अत्यंत धीमा जहर है, जो हवा, पानी, धूल आदि के माध्यम से न केवल मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर उसे रुग्ण बना देता है, बल्कि जीव-जंतुओं, पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों और वनस्पतियों को भी सड़ा-गलाकर नष्ट कर देता है। आज प्रदूषण के कारण ही विश्व में प्राणियों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है, प्रदूषण अनेक भयानक बीमारियों को जन्म देता है। कैंसर, रक्तचाप, शुगर, एंसीफिलायटिस, स्नोलिया, दमा, हैजा, मलेरिया, चमरोग, नेत्ररोग और स्वाइन फ्लू, जिससे सारा विश्व भयाक्रांत है, इसी प्रदूषण का प्रतिफल है।

चंद्रपुर सुपर थर्मल पावर स्टेशन के चिमनियों से निकलने वाला धुँवा वायु प्रदूषण से एथरोस्क्लेरोसिस यानी धमनियों में वसा, कैल्शियम व कोलेस्ट्राल का प्लाक तेजी से बनता है, जिससे दिल तक आक्सीजनयुक्त रक्त पहुंचने में बाधा आती है जिससे युवाओं में भी दिल का दौरा व स्ट्रोक बढ़ा है। और चंद्रपुर वासियों में छींक आना, नाक और गले में दर्द, गला खराब, सांस फूलने, एलर्जिक रानाइटिस एवं खांसी के मरीजों की संख्या अचानक बढ़ी है.

सिटिपिएस के चिमनी से निकले काले धुएं के बारे में जानकारी हासिल की गई तो पता चला कि सीटीपीएस में 7 यूनिट कार्यरत है. बॉटम एश फिल्टर में जाम होने पर उसे मेन्टेनेन्स के लिए बंद किया जाता है और शुरू करने के लिए बर्निंग ऑईल का उपयोग होता है. इससे ऐसा काला धुआ निकलता है. यह काम ठेकेदार के माध्यम से होता है. यहां अधिकांश काम ठेका पध्दति से होने से तकनीकी दृष्टि से इस तरह के काम पर नियंत्रण नहीं होता है. इस संदर्भ में जानकारी देते हुए एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रत्येक यूनिट की समय- समय पर देखरेख की जाती है. ऐसे स्थिति में यूनिट को बंद करना पडता है. 500 मेगावॉट यूनिट मेन्टेन्स के लिए बंद किया था. इसे शुरू किया गया. विशिष्ट तापमान के लिए ऑईल जलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. प्रक्रिया 2 से 3 घंटे होती है. इसके बाद कोयला उपयोग किया जाता है. विद्युत निर्मिति प्रक्रिया का एक भाग है.

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